भारतीय संस्कृति में पर्व-त्योहारों का बहुत ही विशेष महत्व है। वर्ष पर्यन्त निरंतर पर्वोत्सव होते ही रहते हैं जिनमें कुछ क्षेत्रीय स्तर के भी होते हैं और कुछ राष्ट्रीय स्तर के। मकर संक्रांति राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने वाला पर्व है अर्थात पूरे भारत में मनाया जाता है भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में नाम भले ही अलग-अलग हो। ये पर्व हमारे सांसारिक जीवन के लिये भी आवश्यक और लाभप्रद होते हैं, ये त्योहार हमें एक साथ लाते हैं, हमारे जीवन में आनंद और उत्साह भी भरते हैं। आइए जानते हैं कि वर्ष 2025 में मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी और इसका क्या महत्व है।
मकर संक्रांति 2025: तिथि, महत्व और उत्सव सब कुछ जानें
- सूर्य का मकर राशि में प्रवेश – 14 जनवरी मंगलवार प्रातः 8:54 (am) बजे।
- निकटतम उदित सूर्य – 14 जनवरी मंगलवार।
- चूंकि सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को प्रातः काल ही प्रविष्ट होंगे अतः नियमानुसार पुण्यकाल 14 जनवरी मंगलवार को सम्पूर्ण दिन होगा।
- अतः 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी मंगलवार को होगा।
मकर संक्रांति 2025 की तिथि
2025 न ही लीप वर्ष है न ही लीप वर्ष का पूर्व वर्ष अपितु लीप वर्ष का आगामी वर्ष है अतः सामान्य विचार से भी वर्ष 2025 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति होने की कोई संभावना ही नहीं होती। 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही सिद्ध होता है। इसलिये वर्ष 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी। इसी दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
मकर संक्रांति का महत्व
- पुण्य काल: संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान, दान, पूजा आदि करने का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति में ये महत्व और भी अधिक होता है।
- उत्तरायण का आरंभ: मकर संक्रांति के साथ ही उत्तरायण प्रारम्भ होता है। उत्तरायण देवताओं का दिन होता है।
मकर संक्रांति एक उत्सव नाम अनेक
- पंजाब: पंजाब में इसे मकर संक्रांति/खिचड़ी का पर्व के नाम से जाना जाता है और लोग खिचड़ी बनाकर खाते हैं।
- गुजरात: गुजरात में इसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है और यहां पतंगबाजी का विशेष आनंद लिया जाता है।
- तमिलनाडु: तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है और लोग नए चावल से बने पोंगल का भोग लगाते हैं।
- आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में इसे भोगी के नाम से जाना जाता है। हरिचंदनम नामक एक पेड़ की पूजा की जाती है, इस दिन गोबर के उपले जलाए जाते हैं।
- कर्नाटक: कर्नाटक में इसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है और लोग एलुबेले (एक प्रकार की मिठाई) बनाकर खाते हैं।
- अन्य राज्य : मकर संक्रांति को तिलासंक्रान्ति भी कहा जाता है और इस दिन तिल का विशेष रूप से दान, भोजन में प्रयोग किया जाता है।
निष्कर्ष : मकर संक्रांति हर्षोल्लास का पर्व है, इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं और देवताओं का दिन आरंभ होता है। संक्रांति का पुण्यकाल विशेष उपयोगी होता है जिसमें स्नान-दान-पूजा आदि करना विशेष कल्याणकारी होता है। वर्ष 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी।
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