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कुंडली में पंचधा मैत्री क्या है, कैसे विचार करते हैं - panchadha maitri

कुंडली में पंचधा मैत्री क्या है, कैसे विचार करते हैं – panchadha maitri

कुंडली में पंचधा मैत्री क्या है, कैसे विचार करते हैं – panchadha maitri : पंचधा मैत्री को समझने के लिये हमें सर्वप्रथम इसके निर्धारण के दो प्रकारों को समझना होगा। ग्रहों की मैत्री दो प्रकार की होती है एक नैसर्गिक मैत्री और दूसरी तात्कालिक मैत्री और इन दोनों को समझने के पश्चात् ही पंचधा मैत्री विचार किया जा सकता है, पंचधा मैत्री चक्र का निर्माण किया जा सकता है।

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ग्रहों की उच्च और नीच राशि, त्रिकोण, स्वगृह एवं उनके फल विचार – uccha nich grah

ग्रहों की उच्च और नीच राशि, त्रिकोण, स्वगृह एवं उनके फल विचार – uccha nich grah : ज्योतिष शास्त्र में फलादेश करने के लिये ग्रहों का विशेष अध्यययन आवश्यक होता है और इसमें अनेकानेक विचार अनिवार्य होते हैं यथा : उच्च, नीच, मूलत्रिकोणी, स्वगृही, मित्रगृही, रिपुगृही आदि।

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ग्रहों की जाग्रत स्वप्न सुषुप्ति अवस्था और उनके फल - jagrat swapna sushupti

ग्रहों की जाग्रत स्वप्न सुषुप्ति अवस्था और उनके फल – jagrat swapna sushupti

ग्रहों की जाग्रत स्वप्न सुषुप्ति अवस्था और उनके फल – jagrat swapna sushupti : ग्रहों की अवस्था में दीप्तादि अवस्था, बालादि अवस्था का विचार मुख्यतः किया जाता है जिसका वर्णन बृहत्पराशरहोराशास्त्रम् में मिलता है। इसके साथ ही एक अन्य अवस्था का भी वर्णन मिलता है जो जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति (jagrat swapna sushupti) अवस्था है।

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ग्रहों की अवस्थाएं (graho ki avastha) : बाल, कुमार, युवा, वृद्ध और मृत

ग्रहों की अवस्थाएं (graho ki avastha) : बाल, कुमार, युवा, वृद्ध और मृत

ग्रहों की अवस्थाएं (graho ki avastha) : बाल, कुमार, युवा, वृद्ध और मृत – ग्रहों की अवस्था को दो प्रकार की होती है एक वयावस्था (बालादि) और दूसरी भावनात्मक या मानसिक (दीप्तादि), यहां हम ग्रहों के इसी बालादि अवस्था को समझने का प्रयास करेंगे और ज्योतिष ग्रंथों में इसके क्या वर्णन हैं उनको भी समझने का प्रयास करेंगे।

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ग्रहों की अवस्था (grahon ki avastha) : दीप्त, स्वस्थ, प्रमुदित, शांत, दीन, दुःखित, विकल, खल और कुपित

ग्रहों की अवस्था (grahon ki avastha) : दीप्त, स्वस्थ, प्रमुदित, शांत, दीन, दुःखित, विकल, खल और कुपित

ग्रहों की अवस्था (grahon ki avastha) : दीप्त, स्वस्थ, मुदित, शान्त, शक्त, निपीडित, भीत, विकल, खल –

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प्रथम ज्येष्ठ मास का पंचांग 2026, 2 May 2026 - 31 May 2026, 1st Jyeshtha maas ka panchang

प्रथम ज्येष्ठ मास का पंचांग 2026, 2 May 2026 – 31 May 2026, 1st Jyeshtha maas ka panchang

प्रथम ज्येष्ठ मास का पंचांग 2026, 2 May 2026 – 31 May 2026, 1st Jyeshtha maas ka panchang : शुद्ध, वसंत ऋतु १५/०५/२०२६ से ग्रीष्म ऋतु, सौम्यगोल, सौम्यायन, दक्षिण काल १५/०५/२०२६ से पश्चिम काल

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