शुभ मुहूर्त - Shubh Muhurt 2025

शुभ मुहूर्त – Shubh Muhurt 2025

शुभ मुहूर्त – Shubh Muhurt 2025 : मुंडन मुहूर्त 2025, कर्णवेध मुहूर्त 2025, उपनयन मुहूर्त 2025, विवाह मुहूर्त 2025, द्विरागमन मुहूर्त 2025, गृहारम्भ मुहूर्त 2025, गृहप्रवेश मुहूर्त 2025, देवादि प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) मुहूर्त 2025

Read More
देशांतर - Deshantar

देशांतर – Longitude

देशांतर – Deshantar : सभी पंचांगों में किसी न किसी स्थान विशेष के अक्षांश और रेखांश के आधार पर गणना की जाती है एवं उसमें दिये गये सूर्योदय-सूर्यास्त उसी स्थान विशेष के होते हैं। उस स्थान के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर सूर्योदयास्त में 4 मिनट का प्रतिरेखांश होता है इसी अंतर को देशांतर कहा जाता है।

Read More
प्रज्ञा पंचांग देखने की विधि - Panchang dekhne ki vidhi

प्रज्ञा पंचांग देखने की विधि – Panchang dekhne ki vidhi

प्रज्ञा पंचांग देखने की विधि – Panchang dekhne ki vidhi : सभी पंचांगों की प्रथम सारणी में ऊपर के दाहिने कोने में मास, पक्ष, अयन, गोल, ऋतु, शुद्धाशुद्ध, काल दिशा एवं आंग्ल दिनांक आदि दिया जाता है। प्रज्ञा पंचांग में इसी का ध्यान रखते हुये ऊपर के दाहिने कोने में उपरोक्त विवरण दिया गया है।

Read More
दृक पंचांग अर्थात् डिजिटल प्रज्ञा पंचांग की आवश्यकता - Need for Prajna Panchang

दृक पंचांग अर्थात् डिजिटल प्रज्ञा पंचांग की आवश्यकता – Need for Pragya Panchang/Drik Panchag

दृक पंचांग अर्थात् डिजिटल प्रज्ञा पंचांग की आवश्यकता – Need for Prajna Panchang : ऐसे दृक पंचांग (Drik Panchang) की आवश्यकता होती है जो उपयोगकर्ताओं के अनुकूल हो क्योंकि उपलब्ध दृक पंचांगों में अनेकों दोष देखे जाते हैं जिसके कारण उपयोगकर्ताओं के लिये ग्राह्य सिद्ध नहीं होते। इसी कारण प्रज्ञा पंचांग प्रकाशित किया जा रहा है जिसे अधिकाधिक दोषों का निवारण करते हुये उपयोगकर्ताओं के अनुकूल और सहज उपयोग के योग्य बनाने का प्रयास किया गया है।

Read More
अदृश्य पंचांगों का खंडन

अदृश्य पंचांगों का खंडन – Rejection of nondrik panchang

अदृश्य पंचांगों का खंडन – Rejection of nondrik panchang : वर्त्तमान में अधिकांश पंचांग सूर्यसिद्धांत अथवा आधारित सिद्धांतों से ही किया जाता है, किन्तु कालभेद से इसमें भी संस्कार की अपेक्षा है जिसकी उपेक्षा की जाती है और अदृश्यता की सिद्धि होती है। उपरोक्त स्थिति में अदृश्यता को ही ग्राह्य सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है एवं प्रमाणों का भी भ्रमजाल बुना जाता है जिसमें स्वयं ही अदृश्य समर्थक फंस जाते हैं।

Read More
दृक् पंचांग की आवश्यकता अथवा सिद्धि - Value of Drik Panchang

दृक् पंचांग की आवश्यकता अथवा सिद्धि – Value of Drik Panchang

दृक् पंचांग की आवश्यकता अथवा सिद्धि – Value of Drik Panchang : प्रमाणों एवं तर्क के आधार पर अंततः सिद्ध यही होता है कि दृश्य गणना ही स्वीकार्य है। प्राचीन काल में छाया-जलयंत्र आदि अनेक विधियों से दृश्य की पुष्टि की जाती थी आधुनिक काल में यदि सैटेलाइट है तो इससे पुष्टि होनी ही चाहिए। वही दृश्य गणना महत्वपूर्ण एवं ग्राह्य है जिसकी यंत्रादि से पुष्टि हो सके एवं आर्षमत में सदैव ऐसा आदेश भी किया गया है ।

Read More