घात चक्र क्या होता है आईये जानते हैं - ghat chakra

घात चक्र क्या होता है आईये जानते हैं – ghat chakra

घात चक्र क्या होता है आईये जानते हैं – ghat chakra : व्यक्ति के जीवन में घाट चक्र (ghat chakra) का भी बड़ा महत्व होता है और इस कारण से जन्मपत्रिका में अर्थात जन्मकुंडली में घात चक्र का भी वर्णन और विचार किया जाता है। शास्त्रों में कुछ विशेष मास, तिथि, नक्षत्र, राशि योग, करण, प्रहर घातक होते हैं और घात चक्र द्वारा हम इन्हें समझ सकते हैं कि जातक के लिये कौन-कौन घातक है।

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अवकहड़ा चक्र क्या होता है व देखने की विधि : avakhada chakra

अवकहड़ा चक्र क्या होता है व देखने की विधि : avakhada chakra

अवकहड़ा चक्र क्या होता है व देखने की विधि : avakhada chakra : प्रायः अवकहड़ा भी बोलते सुनते देखा जाता है किन्तु ये अवकहड़ा नहीं अवकहडा है। आर्य मातृका से वर्ण लिया गया है जिसका दो वर्ग होता है ४ – ४ वर्णों का और ५ – ५ वर्णों का। अवकहडा में ५ – ५ वर्णों का वर्ग लिया गया है जो इस प्रकार है अवकहड, मटपरत, नयभजख और गसदचल।

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नक्षत्र के चरण कैसे जाने अर्थात कैसे निकालें - nakshatra ke charan

नक्षत्र के चरण कैसे जाने अर्थात कैसे निकालें – nakshatra ke charan

नक्षत्र के चरण कैसे जाने अर्थात कैसे निकालें – nakshatra ke charan : यदि जन्मपत्रिका न भी बनानी हो मात्र जन्मकाल का विवरण अंकित करना हो अर्थात जब जातक के जन्म होने पर पंडित जी से पतरा दिखाया जाता है तो भी चरण ज्ञात होना आवश्यक होता है।

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दशम लग्न, भाव मध्य, भाव संधि कैसे बनाते हैं ~ bhav chalit kundali

दशम लग्न, भाव मध्य, भाव संधि कैसे बनाते हैं ~ bhav chalit kundali

दशम लग्न, भाव मध्य, भाव संधि कैसे बनाते हैं ~ bhav chalit kundali : सामान्य रूप से चलित कुंडली नहीं बनायी जाती है किन्तु जिन्हें चलित कुंडली भी बनानी हो उन्हें सर्वप्रथम दशम लग्न साधन, भाव स्पष्ट अथवा भाव मध्य, भाव संधि आदि ज्ञात करके भाव विस्तार को समझना आवश्यक होता है।

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नवमांश कुंडली कैसे बनाते हैं - navmansh kundli

षडवर्ग क्या है, सप्तवर्गीय जन्मपत्रिका व षोडश वर्ग कुंडली कैसे बनाते हैं : shodash varga kundali

षडवर्ग क्या है, सप्तवर्गीय जन्मपत्रिका व षोडश वर्ग कुंडली कैसे बनाते हैं : shodash varga kundali : जातक ज्योतिष में अतिसूक्ष्म विचार करने अथवा फलादेश करने के लिये सामान्य जन्म कुंडली, राशि कुंडली और नवांश कुंडली से आगे बढ़ने पर षोडश वर्ग कुंडली (shodash varga kundali) तक का विचार किया जाता है एवं यहां इन सबको एक साथ समझने का प्रयास करेंगे।

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नवमांश कुंडली कैसे बनाते हैं - navmansh kundli

नवमांश कुंडली कैसे बनाते हैं – navmansh kundli

नवमांश कुंडली कैसे बनाते हैं – navmansh kundli : यदि षोडश वर्ग अथवा षड्वर्ग न भी बनाया जाय तो भी बहुत सारे ज्योतिषी नवांश कुंडली बनाते हैं। इस आलेख में नवांश कुंडली क्या है यह बताया गया है, नवांश कुंडली कैसे बनायी जाती है यह भी बताया गया है एवं सीखने के लिये उदाहरण भी दिया गया है।

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स्थानीय प्रथम लग्न सारणी निर्माण विधि - lagna sarani nirman

स्थानीय प्रथम लग्न सारणी निर्माण विधि – lagna sarani nirman

स्थानीय प्रथम लग्न सारणी निर्माण विधि – lagna sarani nirman : स्थानीय लग्न सारणी उपलब्ध न होने के कारण निकटतम स्थानों की बनी लग्न सारणी जो पंचांगों में उपलब्ध होती है से लग्न ज्ञात करना होता है जो कई स्थितियों में त्रुटिपूर्ण भी हो सकता है। इसलिये स्पष्ट लग्नानयन हेतु स्थानीय लग्नसारणी की आवश्यकता होती है और इस आलेख में स्वयं ही स्थानीय लग्नसारणी का निर्माण कैसे कर सकते है बताया गया है।

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स्वोदय विधि से शुद्ध लग्न निकालने की विधि - lagna kaise nikalte hain

स्वोदय विधि से शुद्ध लग्न निकालने की विधि – lagna kaise nikalte hain

स्वोदय विधि से शुद्ध लग्न निकालने की विधि – lagna kaise nikalte hain : स्पष्ट लग्नानयन के लिये अक्षांश से पलभा, पलभा से चरखण्ड, लंकोदय में चरखण्ड संस्कार करके स्वोदय मान, सायन सूर्य भुक्तांश तदनन्तर भुक्त लग्न अंशादि ज्ञात किया जाता है। आलेख में पूरी विधि उदाहरण सही बताई गयी है।

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लग्नानयन : अक्षांश से पलभा, पलभा से चरखण्ड और चरखंड से स्वोदय मान कैसे बनायें - palbha charkhand swoday

लग्नानयन : अक्षांश से पलभा, पलभा से चरखण्ड और चरखंड से स्वोदय मान कैसे बनायें – palbha charkhand swoday

लग्नानयन : अक्षांश से पलभा, पलभा से चरखण्ड और चरखंड से स्वोदय मान कैसे बनायें – palbha charkhand swoday : लग्न यदि शुद्ध न हो तो कुंडली भी त्रुटिपूर्ण हो सकती है। यदि षड्वर्ग, सप्तवर्ग, षोडशवर्ग आदि बनाना हो तब तो शुद्ध लग्न ज्ञात करना अनिवार्य हो जाता है। शुद्ध लग्न ज्ञात करने के लिये स्वोदय मान का प्रयोग करना आवश्यक होता है। इस आलेख में अक्षांश से पलभा बनाना, पलभा से चरखण्ड बनाना और फिर लंकोदय में चरखण्ड संस्कार पूर्वक स्वोदय बनाना बताया गया है।

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श्री वेंकटेश्वर शताब्दि पंचांग से जन्म पत्रिका बनाना सीखे ~ janam kundli banana sikhe

श्री वेंकटेश्वर शताब्दि पंचांग से जन्म पत्रिका बनाना सीखे ~ janam kundli banana sikhe

श्री वेंकटेश्वर शताब्दि पंचांग से जन्म पत्रिका बनाना सीखे ~ janam kundli banana sikhe : यहां हम एक जन्मपत्रिका का निर्माण विस्तृत विश्लेषण करते हुये करेंगे। इसमें चर मिनट से सूक्ष्म सूर्योदय ज्ञात करके उसके आधार पर इष्टकाल ज्ञात करेंगे, ग्रह स्पष्ट करेंगे, दशान्तर्दशा अंकित करेंगे।

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