व्यक्ति के जीवन में घाट चक्र (ghat chakra) का भी बड़ा महत्व होता है और इस कारण से जन्मपत्रिका में अर्थात जन्मकुंडली में घात चक्र का भी वर्णन और विचार किया जाता है। शास्त्रों में कुछ विशेष मास, तिथि, नक्षत्र, राशि योग, करण, प्रहर घातक होते हैं और घात चक्र द्वारा हम इन्हें समझ सकते हैं कि जातक के लिये कौन-कौन घातक है। घात चक्र का ज्ञान होने से उस घात तिथि-नक्षत्रादि में विशेष रूप से उल्लिखित कार्यों को नहीं करना चाहिये। यहां घात चक्र क्या होता है समझने का प्रयास किया गया है।
घात चक्र क्या होता है आईये जानते हैं – ghat chakra
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ऊपर घात चक्र (ghat chakra) दिया गया है और ध्यानपूर्वक देखने से ज्ञात होता है कि घात राशि में पुरुष व स्त्री के लिये अंतर होता है और इसी कारण पुरुष व स्त्री दोनों का घात चंद्र अलग-अलग है। घात चक्र का विचार चन्द्र राशि के आधार पर किया जाता है। अब यदि हमें पूर्व आलेख में प्राप्त विवरण; प्रथम उदाहरण की राशि मेष थी और द्वितीय उदाहरण की वृष; से घात चक्र ज्ञात करना हो तो इस प्रकार करेंगे :
मेष राशि के लिये :
- मास – कार्तिक
- तिथि – नंदा (१, ६, ११)
- वार – रविवार
- नक्षत्र – मघा
- योग – विष्कुम्भ
- करण – बव
- प्रहर – प्रथम (१)
- राशि – मेष
वृष राशि के लिये :
- मास – मार्गशीर्ष
- तिथि – पूर्णा (५, १०, १५)
- वार – शनिवार
- नक्षत्र – हस्त
- योग – शूल
- करण – शकुनि
- प्रहर – चतुर्थ (४))
- राशि – सिंह (स्त्री होने पर वृश्चिक)
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