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यहां सीखें इष्टकाल निकालने की पूरी विधि - ishtkaal kaise nikale

यहां सीखें इष्टकाल निकालने की पूरी विधि – ishtkaal kaise nikale

यहां सीखें इष्टकाल निकालने की पूरी विधि – ishtkaal kaise nikale : हम एक पूर्व आलेख में भी इष्टकाल निकालने की विधि को समझ चुके हैं। इष्टकाल का तात्पर्य होता है वो वास्तविक समय जिसकी खगोलीय स्थिति आवश्यक है अर्थात ज्ञात करना चाहते हैं।

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ज्योतिष सीखें - अक्षांश और देशांतर, समय संस्कार

ज्योतिष सीखें – अक्षांश और देशांतर, समय संस्कार

ज्योतिष सीखें – अक्षांश और देशांतर, समय संस्कार : इष्टकाल बनाने की विधि जानने से पूर्व देशांतर-वेलांतर को जानना और समझना आवश्यक होता है। देशांतर को समझने के लिये रेखांश को समझना आवश्यक होता है एवं रेखांश को समझते समय अक्षांश को भी समझना चाहिये। जिससे समय परिवर्तन की गणितीय क्रिया संपन्न होती है; अक्षांश, रेखांश, देशांतर और वेलांतर संबंधी जानकारी यहां दी गयी है।

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समय परिवर्तन : घंटा मिनट को घटी पल में बदलना और घटी पल को घंटा मिनट में बदलने की विधि

समय परिवर्तन : घंटा मिनट को घटी पल में बदलना और घटी पल को घंटा मिनट में बदलने की विधि

समय परिवर्तन : घंटा मिनट को घटी पल में बदलना और घटी पल को घंटा मिनट में बदलने की विधि : 2 घंटा 10 मिनट को घटी/पल में बदलने के लिये ढाई (2.5 अर्थात् 2½) से गुणा किया जिसका परिणाम 5 घटी 25 पल प्राप्त हुआ था। किन्तु इसमें हम और भी अनेकों प्रकार का उदाहरण समझेंगे और पुनः इसका विपरीत अर्थात घटी पल को घंटा मिनट में बदलने की विधि भी उदाहरण सहित समझेंगे।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें - भाग 2

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें – भाग 2

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें – भाग 2 : ज्योतिष गणित – Jyotish Ganit में यहां कुंडली बनाने की विधि से संबंधित गणितीय क्रियाओं को समझेंगे। घंटा-मिनट को दण्ड-पल बनाना, इष्टकाल निकालना, लग्नानयन अर्थात लग्न ज्ञात करना आदि समझेगें। इसके साथ ही स्थानीय समय, मानक समय, देशांतर, वेलांतर इत्यादि को भी समझने का प्रयास करेंगे।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें - भाग 1

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें – भाग 1

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें – भाग 1 – jyotish seekhen : ज्योतिष विद्या वेदाङ्ग विद्या है और ज्योतिष सीखना एवं ज्योतिर्विद अथवा दैवज्ञ बनना दो भिन्न विषय है। ज्योतिष के तीन स्कंध कहे गये हैं सिद्धांत, संहिता और होरा। ज्योतिष सीखने का मुख्य तात्पर्य होरा के अंतर्गत कुंडली निर्माण करना और फलादेश करना समझा जाता है तथापि सामान्य ज्योतिषी बनने के लिये भी सिद्धांत व संहिता का भी सामान्य ज्ञान अनिवार्य होता है।

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आज का पंचांग शुभ मुहूर्त - aaj ka panchang 2024

आज का पंचांग शुभ मुहूर्त – aaj ka panchang

आज का पंचांग शुभ मुहूर्त – aaj ka panchang : यहां दैनिक पंचांग अर्थात आज का पंचांग शुभ मुहूर्त सहित दिया जाता है जो प्रतिदिन मध्यरात्रि को परिवर्तित भी होता है। इसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, राशि, विभिन्न शुभ मुहूर्त, व्रत-पर्व आदि तो दिये ही जाते हैं इसके साथ ही कुछ और विशेष विषय भी समाहित किया गया है जो अन्यत्र नहीं दिया जाता किन्तु अति उपयोगी है, जैसे : गण्डान्त काल, सौर दिनांक, अर्द्धप्रहरा, शिववास, अग्निवास इत्यादि। इस कारण से प्रज्ञा पंचांग की उपयोगिता बढ़ जाती है।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें - learn astrology in hindi

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें – learn astrology in hindi

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिन्दी में ज्योतिष सीखें – learn astrology in hindi : यहां ज्योतिष सीखने में सहयोग हेतु आपको शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ सामग्रियां प्राप्त होंगी किन्तु जैसे आप चिकित्सा शास्त्र की पुस्तकों का अध्ययन करके चिकित्सक नहीं बन सकते उसी प्रकार ज्योतिष की पुस्तकों का अध्ययन मात्र करके ज्योतिषी नहीं बन सकते हैं।

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ज्योतिष: भूत, वर्तमान और भविष्य का संगम - jyotish kya hai

ज्योतिष: भूत, वर्तमान और भविष्य का संगम – jyotish kya hai

ज्योतिष: भूत, वर्तमान और भविष्य का संगम – jyotish kya hai : ज्योतिष को कालज्ञान भी कहा जाता है, लगध के वेदाङ्ग ज्योतिष में “कालज्ञानं प्रवक्ष्यामि” मिलता है। कालज्ञान का तात्पर्य काल गणना, काल निर्धारण, शुभाशुभ काल आदि होता है।

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मकर संक्रांति 2025: तिथि, महत्व और उत्सव सब कुछ जानें

मकर संक्रांति 2025: तिथि, महत्व और उत्सव सब कुछ जानें

मकर संक्रांति 2025: तिथि, महत्व और उत्सव सब कुछ जानें : मकर संक्रांति हर्षोल्लास का पर्व है, इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं और देवताओं का दिन आरंभ होता है। संक्रांति का पुण्यकाल विशेष उपयोगी होता है जिसमें स्नान-दान-पूजा आदि करना विशेष कल्याणकारी होता है। वर्ष 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी।

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