अंतर्दशा कैसे निकाले : अंतर्दशा साधन व अंकन विधि – antardasha kaise nikale

अंतर्दशा कैसे निकाले : अंतर्दशा साधन व अंकन विधि - antardasha kaise nikale

पूर्व आलेख में हम महादशा ज्ञात करना, भुक्त वर्षादि और भोग्य वर्षादि ज्ञात करना सीख चुके हैं। जब जन्म महादशा व भोग्य वर्षादि ज्ञात कर लेते हैं तो उसके पश्चात् जन्म से प्रारम्भ करते हुये महादशा व अन्तर्दशा की गणना करके उसे जन्मपत्रिका में अंकित किया जाता है। यदि हम इस विधि को न सीखें तो महादशा-अन्तर्दशा साधन सीखना अधूरा है। यहां हम पूर्व आलेख में निकाले गये भोग्य वर्षादि के आधार पर अंतर्दशा कैसे निकाले (antardasha kaise nikale), अन्तर्दशा साधन और अंकन करना सीखेंगे।

अब तक हमने सीखा है :

“ज्योतिष सीखें” से संबंधित पूर्व के आलेखों को यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

अन्तर्दशा निकालने की विधि

पूर्व आलेख में ज्ञात किये गये महादशा, भोग्य वर्षादि नीचे दिये गये हैं जिसके आधार पर अब आगे की क्रिया अर्थात अन्तर्दशा साधन और अंकन करना सीखेंगे :

  1. प्रथम अभ्यास : 2/4/2025, पंचमी, बुध, इष्टकाल ४/१७, जन्म नक्षत्र कृत्तिका, भयात ५४/०३, भभोग ५४/३२महादशा सूर्य, महादशा वर्ष ६, भुक्त वर्षादि ५/११/१०, भोग्य वर्षादि है : ०/०/२०
  2. द्वितीय अभ्यास : 3/4/2025, षष्ठी, गुरु, इष्टकाल ४६/१३, जन्म नक्षत्र मृगशिरा, भयात ४५/३०, भभोग ५७/३७महादशा मंगल, महादशा वर्ष ७, भुक्त वर्षादि ५/०९/०६, भोग्य वर्षादि है : १/०२/२४

अन्तर्दशा साधन व अंकन हेतु आवश्यक तथ्य को यदि पृथक करके रखें तो दोनों अभ्यास हेतु विवरण इस प्रकार से प्राप्त होता है :

प्रथम अभ्यास

  • जन्म दिनांक : 2/4/2025
  • महादशा : सूर्य
  • भुक्त वर्षादि : ५/११/१०
  • भोग्य वर्षादि : ०/०/२०

द्वितीय अभ्यास

  • जन्म दिनांक : 3/4/2025
  • महादशा : मंगल
  • भुक्त वर्षादि : ५/०९/०६
  • भोग्य वर्षादि : १/०२/२४

अन्तर्दशा साधन और निर्धारण उपरोक्त विवरणों के आधार पर ही किया जाता है और हम उपरोक्त विवरण के आधार पर दोनों अभ्यासों के लिये प्रथम अन्तर्दशा निर्धारण और तत्पश्चात अंकन विधि को समझेंगे :

अन्तर्दशा साधन हेतु सर्वप्रथम जन्म दिनांक को वर्ष/मास/दिनांक क्रम से लिखना चाहिये इसे वर्षादि क्रम कहते हैं, अर्थात आदि का तात्पर्य है प्रारम्भ में, प्रारंभ में वर्ष होने पर उसे वर्षादि दिनांक कहा जाता है। प्रथम अभ्यास में जन्म दिनांक 2/4/2025 जिसे २०२५/०४/०२ के क्रम में लिखने पर वर्षादि क्रम हो गया और इसी प्रकार द्वितीय अभ्यास में जन्म दिनांक 3/4/2025 है और वर्षादि क्रम करने पर यह २०२५/०४/०३ होता है।

Powered By EmbedPress

अंतर्दशा साधन दो प्रकार से की जा सकती है भुक्त वर्षादि के आधार पर महादशा प्रारम्भ दिनांक से अंतर्दशाओं का निर्धारण करते हुये और भोग्य वर्षादि के आधार पर महादशा समाप्ति दिनांक में अंतिम क्रम से अंतर्दशाओं को घटाते हुये। प्रथम अभ्यास में भोग्य वर्षादि ०/०/२० अर्थात २० दिन मात्र है और सूर्य महादशा में अंतिम अंतर्दशा शुक्र की १ वर्ष है अर्थात शुक्र की अन्तर्दशा है और इसमें यह भी सरलता से ही ज्ञात हो जाती है कि २०२५/०४/०२ + ०/०/२० = २०२५/०४/२२ अर्थात २२/०४/२०२५ को शुक्र की अन्तर्दशा और सूर्य की महादशा दोनों समाप्त हो रही है।

अंतर्दशा कैसे निकाले

किन्तु इसी को हम दशारम्भ काल से गणना करके समझेंगे :

  • महादशारंभ = जन्म दिनांक (वर्षादि) – भुक्त वर्षादि
  • = २०२५/०४/०२ – ५/११/१०
  • = २०२४/१५/३२ – ५/११/१०
  • = २०१९/०४/२२ अर्थात २२/०४/२०१९ से सूर्य की महादशा प्रारम्भ हो रही है।

अब इस दिनांक में ही विंशोत्तरी दशा सारणी के अनुसार प्रारम्भ से अर्थात सूर्य की अन्तर्दशा से गणना प्रारम्भ करेंगे और जी अन्तर्दशा में जन्म दिनांक होगा वही वर्त्तमान अन्तर्दशा होगी।

  • , १९/०४/२२ महादशा प्रारम्भ दिनांक
  • + ००/०३/१८ सूर्य अन्तर्दशा वर्षादि
    = १९/०८/१० तक सूर्य की अन्तर्दशा अर्थात १०/०८/२०१९ तक
  • + ००/०६/०० चन्द्र अन्तर्दशा वर्षादि
    = २०/०२/१० तक चन्द्र की अन्तर्दशा
  • + ००/०४/०६ मंगल अन्तर्दशा वर्षादि
    = २०/०६/१६ तक मंगल की अन्तर्दशा
  • + ००/१०/२४ राहु अन्तर्दशा वर्षादि
    = २१/०५/१० तक राहु की अन्तर्दशा
  • + ००/०९/१८ गुरु अन्तर्दशा वर्षादि
    = २२/०२/२८ तक गुरु की अन्तर्दशा
  • + ००/११/१२ शनि अन्तर्दशा वर्षादि
    = २३/०२/१० तक शनि की अन्तर्दशा
  • + ००/१०/०६ बुध अन्तर्दशा वर्षादि
    = २३/१२/१६ तक बुध की अन्तर्दशा
  • + ००/०४/०६ केतु अन्तर्दशा वर्षादि
    = २४/०४/२२ तक केतु की अन्तर्दशा
  • + ०१/००/०० शुक्र अन्तर्दशा वर्षादि (वर्त्तमान अन्तर्दशा)
    = २५/०४/२२ तक शुक्र की अन्तर्दशा अर्थात २२/०४/२०२५ तक

जन्म दिनांक ०२/०४/२०२५ शुक्र की अन्तर्दशा में है अतः वर्त्तमान महादशा सूर्य में शुक्र की अन्तर्दशा है जो २२/०४/२०२५ तक रहेगी। चन्द्र महादशा २३/०४/२०२५ से २३/०४/२०३५ तक (चंद्र महादशा वर्ष १०)

  • , २५/०४/२२ से चन्द्र महादशा
  • + ००/१०/०० चन्द्र अन्तर्दशा वर्षादि
    = २६/०२/२२ तक चन्द्र की अन्तर्दशा
  • + ००/०७/०० मंगल अन्तर्दशा वर्षादि
    = २६/०९/२२ तक मंगल की अन्तर्दशा
  • + ०१/०६/०० राहु अन्तर्दशा वर्षादि
    = २८/०३/२२ तक राहु मंगल की
  • + ०१/०४/०० गुरु अन्तर्दशा वर्षादि
    = २९/०७/२२ तक गुरु की अन्तर्दशा
  • + ०१/०७/०० शनि अन्तर्दशा वर्षादि
    = ३१/०२/२२ तक शनि की अन्तर्दशा
  • + ०१/०५/०० बुध अन्तर्दशा वर्षादि
    = ३२/०७/२२ तक बुध की अन्तर्दशा
  • + ००/०७/०० केतु अन्तर्दशा वर्षादि
    = ३३/०२/२२ तक केतु की अन्तर्दशा
  • + ०१/०८/०० शुक्र अन्तर्दशा वर्षादि
    = ३४/१०/२२ तक शुक्र की अन्तर्दशा
  • + ००/०६/०० सूर्य अन्तर्दशा वर्षादि
    = ३५/०४/२२ तक सूर्य की अन्तर्दशा

इसी वर्षादि दिनांक को जन्मपत्रिका में इस प्रकार से अंकित करेंगे :

जन्म : ०२/०४/२०२५ से
सू.शु. २२/०४/२०२५ तक
चं.चं. २२/०२/२०२६ तक
चं.मं. २२/०९/२०२६ तक
चं.रा. २२/०३/२०२८ तक
चं.गु. २२/०७/२०२९ तक
चं.श. २२/०२/२०३१ तक
चं.बु. २२/०७/२०३२ तक
चं.के. २२/०२/२०३३ तक
चं.शु. २२/१०/२०३४ तक
चं.सू. २२/०४/२०३५ तक

ऊपर प्रथम अभ्यास के लिये अन्तर्दशा ज्ञात करने की विधि से लेकर अन्तर्दशा की गणना विधि उदाहरण सहित बताई गयी है और तदनन्तर अन्तर्दशा को जन्मपत्रिका में अंकित करने की विधि भी बताई गयी। अब हम उपरोक्त विधि से ही दूसरे उदाहरण का भी अभ्यास करेंगे।

यदि आप हमारे व्हाट्सअप चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो यहां “क्लिक” करके जुड़ सकते हैं।

महादशा प्रारम्भ = जन्म दिनांक (वर्षादि) – भुक्त वर्षादि
महादशा समाप्त = जन्म दिनांक (वर्षादि) + भोग्य वर्षादि
२०२५/०४/०३ (जन्म दिनांक) – ०५/०९/०६ (मंगल भुक्त वर्षादि)
= २०२४/१५/३३ – ०५/०९/०६
= २०१९/०६/२७ से मंगल महादशा प्रारम्भ
२०२५/०४/०३ (जन्म दिनांक) + ०१/०२/२४ (मंगल भोग्य वर्षादि)
= २०२६/०६/२७ तक मंगल महादशा

अर्थात मंगल महादशा : २७/०६/२०१९ से २७/०६/२०२६ तक

अब वर्त्तमान अन्तर्दशा ज्ञात करने के लिये मंगल महादशा में सभी अन्तर्दशाओं का निर्धारण करेंगे और जिस अन्तर्दशा में जन्म दिनांक मिलेगा वही वर्त्तमान अन्तर्दशा होगी।

  • , १९/०६/२७ से मंगल महादशा
  • + ००/०४/२७ मंगल अन्तर्दशा वर्षादि
    = १९/११/२४ तक मंगल की अन्तर्दशा
  • + ०१/००/१८ राहु अन्तर्दशा वर्षादि
    = २०/१२/१२ तक राहु की अन्तर्दशा
  • + ००/११/०६ गुरु अन्तर्दशा वर्षादि
    = २१/११/१८ तक गुरु की अन्तर्दशा
  • + ०१/०१/०९ शनि अन्तर्दशा वर्षादि
    = २२/१२/२७ तक शनि की अन्तर्दशा
  • + ००/११/२७ बुध अन्तर्दशा वर्षादि
    = २३/१२/२४ तक बुध की अन्तर्दशा
  • + ००/०४/२७ केतु अन्तर्दशा वर्षादि
    = २४/०५/२१ तक केतु की अन्तर्दशा
  • + ०१/०२/०० शुक्र अन्तर्दशा वर्षादि
    = २५/०७/२१ तक शुक्र की अन्तर्दशा
  • + ००/०४/०६ सूर्य अन्तर्दशा वर्षादि
    = २५/११/२७ तक सूर्य की अन्तर्दशा
  • + ००/०७/०० चन्द्र अन्तर्दशा वर्षादि
    = २६/०६/२७ तक चंद्र की अन्तर्दशा

जन्म दिनांक ०३/०४/२०२५ है जो शुक्र की अन्तर्दशा में मिलता है अतः वर्त्तमान अन्तर्दशा शुक्र की है जो २१/०७/२०२५ तक चलेगी। इसे आगे जो लेखन क्रम होगा वो इस प्रकार होगा :

जन्म ०३/०४/२०२५ (दिनांक) से
मं.शु. २१/०७/२०२५ तक
मं.सू. २७/११/२०२५ तक
मं.चं. २७/०६/२०२६ तक

इसी प्रकार से आगे राहु महादशा के अंतर्गत सभी ग्रहों की अन्तर्दशाओं की गणना करके अंकित किया जायेगा।

निष्कर्ष : इस आलेख में भुक्त-भोग्य वर्षादि के आधार पर गणना करते हुये वर्त्तमान अन्तर्दशा ज्ञात करने की विधि बताई गयी है और उसके दो उदाहरण भी दिये गये हैं। इसके साथ ही जन्मपत्रिका में अन्तर्दशा की गणना करते हुये अंकित करने की विधि भी बताई गयी है। चूंकि दो उदाहरण भी सम्मिलित किये गए हैं इस कारण इस आलेख के माध्यम से अन्तर्दशा गणना की पूरी विधि सीखी-समझी जा सकती है।

विद्वद्जनों से आग्रह है कि आलेख में यदि किसी भी प्रकार की त्रुटि मिले तो हमें टिप्पणी/ईमेल करके अवश्य अवगत करने की कृपा करें।

प्रज्ञा पञ्चाङ्ग वेबसाइट कर्मकांड सीखें वेबसाइट की एक शाखा के समान है जो इसके URL से भी स्पष्ट हो जाता है। यहां पंचांग, व्रत-पर्व, मुहूर्त आदि विषय जो ज्योतिष से संबद्ध होते हैं उसकी चर्चा की जाती है एवं दृक् पंचांग (डिजिटल) प्रकाशित किया जाता है। जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है। साथ ही यदि आपको किसी भी मास का प्रज्ञा पंचांग (PDF) चाहिये तो यह टेलीग्राम और व्हाट्सप चैनलों पर दिया जाता है, इसके लिये आप टेलीग्राम और व्हाट्सप चैनल को अवश्य सब्स्क्राइब कर लें। यहां सभी नवीनतम आलेखों को साझा किया जाता है, सब्सक्राइब करे :  Telegram  Whatsapp  Youtube


Discover more from प्रज्ञा पञ्चाङ्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *