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प्रज्ञा पंचांग : फाल्गुन मास 13 Feb 2025 - 14 Mar 2025 Falgun Drik Panchang

प्रज्ञा पंचांग : फाल्गुन मास 13 Feb 2025 – 14 Mar 2025 Falgun Drik Panchang

प्रज्ञा पंचांग : फाल्गुन मास 13 Feb 2025 – 14 Mar 2025 Falgun Drik Panchang : शक १९४६, संवत २०८१, दिनांक १३/०२/२०२५ से १४/०३/२०२५ तक, शुद्ध, शिशिर ऋतु, याम्य गोल, सौम्यायन, काल – दक्षिण

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प्रज्ञा पंचांग : माघ मास 14 Jan 2025 - 12 Feb 2025 Magh Drik Panchang

प्रज्ञा पंचांग : माघ मास 14 Jan 2025 – 12 Feb 2025 Magh Drik Panchang

प्रज्ञा पंचांग : माघ मास 14 Jan 2025 – 12 Frb 2025 Magh Drik Panchang : शक १९४६, संवत २०८१, दिनांक १४/१/२०२५ से १२/०२/२०२५ तक, शुद्ध, शिशिर ऋतु, याम्य गोल, सौम्यायन, काल – पूर्व

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प्रज्ञा पंचांग : पौष माह 16 Dec 2024 - 13 Jan 2025 Paush Drik Panchang

प्रज्ञा पंचांग : पौष मास 16 Dec 2024 – 13 Jan 2025 Paush Drik Panchang

प्रज्ञा पंचांग : पौष माह 16 Dec 2024 – 13 Jan 2025 Paush Drik Panchang : शक १९४६, संवत २०८१, दिनांक १६/१२/२०२४ से १३/०१/२०२५ तक, अशुद्ध, हेमंत ऋतू, याम्य गोल, याम्यायन, काल – पूर्व

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प्रज्ञा पंचांग : मार्गशीर्ष 16 Nov 2024 - 15 Dec 2024

प्रज्ञा पंचांग : मार्गशीर्ष माह 16 Nov 2024 – 15 Dec 2024 Margshirsha Drik Panchang

प्रज्ञा पंचांग : मार्गशीर्ष 16 Nov 2024 – 15 Dec 2024 Margshirsha Drik Panchang,
डिजिटल प्रज्ञा पंचांग मार्गशीर्ष माह जो कि दृक पंचांग भी है और पारंपरिक स्वरूप में भी है नीचे दिया गया है। यदि आपको पंचांग देखने में किसी प्रकार की समस्या हो तो पंचांग देखने की विधि पढ़ें। शक १९४६, संवत २०८१, दिनांक १६/११/२०२४ से १५/१२/२०२४ तक, शुद्ध, हेमंत ऋतू, याम्य गोल, याम्यायन, काल – पूर्व,

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देशांतर - Deshantar

देशांतर – Longitude

देशांतर – Deshantar : सभी पंचांगों में किसी न किसी स्थान विशेष के अक्षांश और रेखांश के आधार पर गणना की जाती है एवं उसमें दिये गये सूर्योदय-सूर्यास्त उसी स्थान विशेष के होते हैं। उस स्थान के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर सूर्योदयास्त में 4 मिनट का प्रतिरेखांश होता है इसी अंतर को देशांतर कहा जाता है।

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प्रज्ञा पंचांग देखने की विधि - Panchang dekhne ki vidhi

प्रज्ञा पंचांग देखने की विधि – Panchang dekhne ki vidhi

प्रज्ञा पंचांग देखने की विधि – Panchang dekhne ki vidhi : सभी पंचांगों की प्रथम सारणी में ऊपर के दाहिने कोने में मास, पक्ष, अयन, गोल, ऋतु, शुद्धाशुद्ध, काल दिशा एवं आंग्ल दिनांक आदि दिया जाता है। प्रज्ञा पंचांग में इसी का ध्यान रखते हुये ऊपर के दाहिने कोने में उपरोक्त विवरण दिया गया है।

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दृक पंचांग अर्थात् डिजिटल प्रज्ञा पंचांग की आवश्यकता - Need for Prajna Panchang

दृक पंचांग अर्थात् डिजिटल प्रज्ञा पंचांग की आवश्यकता – Need for Pragya Panchang/Drik Panchag

दृक पंचांग अर्थात् डिजिटल प्रज्ञा पंचांग की आवश्यकता – Need for Prajna Panchang : ऐसे दृक पंचांग (Drik Panchang) की आवश्यकता होती है जो उपयोगकर्ताओं के अनुकूल हो क्योंकि उपलब्ध दृक पंचांगों में अनेकों दोष देखे जाते हैं जिसके कारण उपयोगकर्ताओं के लिये ग्राह्य सिद्ध नहीं होते। इसी कारण प्रज्ञा पंचांग प्रकाशित किया जा रहा है जिसे अधिकाधिक दोषों का निवारण करते हुये उपयोगकर्ताओं के अनुकूल और सहज उपयोग के योग्य बनाने का प्रयास किया गया है।

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अदृश्य पंचांगों का खंडन

अदृश्य पंचांगों का खंडन – Rejection of nondrik panchang

अदृश्य पंचांगों का खंडन – Rejection of nondrik panchang : वर्त्तमान में अधिकांश पंचांग सूर्यसिद्धांत अथवा आधारित सिद्धांतों से ही किया जाता है, किन्तु कालभेद से इसमें भी संस्कार की अपेक्षा है जिसकी उपेक्षा की जाती है और अदृश्यता की सिद्धि होती है। उपरोक्त स्थिति में अदृश्यता को ही ग्राह्य सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है एवं प्रमाणों का भी भ्रमजाल बुना जाता है जिसमें स्वयं ही अदृश्य समर्थक फंस जाते हैं।

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दृक् पंचांग की आवश्यकता अथवा सिद्धि - Value of Drik Panchang

दृक् पंचांग की आवश्यकता अथवा सिद्धि – Value of Drik Panchang

दृक् पंचांग की आवश्यकता अथवा सिद्धि – Value of Drik Panchang : प्रमाणों एवं तर्क के आधार पर अंततः सिद्ध यही होता है कि दृश्य गणना ही स्वीकार्य है। प्राचीन काल में छाया-जलयंत्र आदि अनेक विधियों से दृश्य की पुष्टि की जाती थी आधुनिक काल में यदि सैटेलाइट है तो इससे पुष्टि होनी ही चाहिए। वही दृश्य गणना महत्वपूर्ण एवं ग्राह्य है जिसकी यंत्रादि से पुष्टि हो सके एवं आर्षमत में सदैव ऐसा आदेश भी किया गया है ।

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