दैनिक ग्रह स्पष्ट से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की विधि – grah spast kaise kare

दैनिक ग्रह स्पष्ट से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की विधि - grah spast kaise kare

अब तक हम क्रमशः समय संस्कार से जन्म पत्रिका निर्माण करने की विधि जान चुके हैं। किन्तु यह सामान्य जन्मपत्री बनाने की विधि है यदि हम इससे विस्तृत जन्म पत्रिका बनाना चाहें तो हमें ग्रह स्पष्ट, भाव स्पष्ट आदि की भी आवश्यकता होती है और अब हम ग्रह स्पष्ट करना सीखेंगे। यहां विश्वविद्यालय पंचांग (दरभंगा) से मिश्रमान कालिक एवं हृषीकेश पंचांग से औदयिक दैनिक ग्रह स्पष्ट, अर्थात दोनों प्रकार के दैनिक ग्रह स्पष्ट से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की विधि (grah spast kaise kare) जानेंगे।

“ज्योतिष सीखें” से संबंधित पूर्व के आलेखों को यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

पंचांगों में मुख्य रूप से दो प्रकार का ग्रह स्पष्ट दिया जाता है यथा दैनिक ग्रह स्पष्ट और साप्ताहिक ग्रह स्पष्ट।

वर्त्तमान में लगभग सभी पंचांग दैनिक ग्रह स्पष्ट देते हैं किन्तु इसके भी दो प्रकार होते हैं और भी हो सकते हैं, वास्तव में किस समय का दिया गया है इसके आधार पर मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं। मिथिला के पंचांगों में मिश्रमान कालिक ग्रह स्पष्ट अंकित जाता है तो वाराणसी व अन्य पंचांगों में सामान्यतः औदयिक अर्थात सूर्योदय काल का ग्रह स्पष्ट अंकित किया जाता है।

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इसी प्रकार से कुछ पंचांगों में साप्ताहिक ग्रह स्पष्ट देने की भी परंपरा देखी जा सकती है और कुछ पंचांगों में ग्रह स्पष्ट का अभाव भी देखा जा सकता है। श्री वेंकटेश्वर शताब्दि पंचांग में साप्ताहिक ग्रह स्पष्ट होता है जो अयनांश परिवर्तन काल का रहता है।

हमें उपरोक्त सभी स्थितियों में तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की विधि ज्ञात होनी चाहिये।

उपरोक्त सभी स्थितियों में त्रैराशिक विधि से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट किया जाता है अर्थात जिस दिन का तात्कालिक ग्रह स्पष्ट ज्ञात करना हो उसके (इष्टकाल वाले) पूर्व और पर के दैनिक ग्रह स्पष्ट का अंतर ज्ञात किया जाता है जिसके लिये अगले ग्रह स्पष्ट में से पिछले ग्रह स्पष्ट को ऋण (घटाया) जाता है और उसे दैनिक ग्रह गति कहते हैं।

किन्तु साप्ताहिक ग्रह स्पष्ट में यह साप्ताहिक गति होती है जिसे भिन्न विधि से ज्ञात किया जाता है। ग्रह गति को इष्टकाल से गुणित करके पूर्व के ग्रह स्पष्ट में योग किया जाता है किन्तु यह औदयिक ग्रह में किया जाता है, यदि मिश्रमान कालिक ग्रह स्पष्ट से ज्ञात करना हो तो इष्टकाल से मिश्रमान काल का अंतर ज्ञात करके ज्ञात किया जाता है।

चंद्र स्पष्ट करने की स्थिति इससे भिन्न होती है जो अलगे आलेख में समझेंगे।

तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की विधि

सर्वप्रथम हमें यह ज्ञात होना आवश्यक होता है कि पंचांग में किस समय का दैनिक ग्रह स्पष्ट अंकित है; औदयिक है अथवा मिश्रमान कालिक है, अथवा किसी भिन्न समय का है। तदनन्तर इष्टकाल से अंतर ज्ञात करना चाहिये औदयिक ग्रह स्पष्ट में इष्टकाल से अंतर नहीं ज्ञात किया जाता है यह औदयिक से भिन्न समय का ग्रह राश्यादि अंकित होने पर किया जाता है।

ग्रह गति

दैनिक ग्रह गति : दैनिक ग्रह राश्यादि के अनुसार पर दिन के ग्रह राश्यादि में पूर्व दिन के ग्रह राश्यादि को ऋण करने (घटाने) से यह ज्ञात होता है कि एक दिन अथवा २४ घंटे अथवा ६० घटी/दण्ड में ग्रह कितना आगे-पीछे गया। जो अंतर ज्ञात होता है वही ग्रह की दैनिक गति होती है। अर्थात एक दिन में ग्रह जितना आगे-पीछे गमन करता है वह उसकी दैनिक गति होती है। दैनिक गति ज्ञात करने के लिये अगले दिन के ग्रह राश्यादि में से पिछले दिन के राश्यादि को घटाया जाता है।

ग्रह राश्यादि में सदैव आगे भी नहीं चलते पीछे भी चलते हैं। आगे बढ़ते रहने पर ग्रह को मार्गी (मार्ग पर स्थित) कहा जाता है और पीछे चलने पर उसे वक्री कहा जाता है। सूर्य और चंद्र सदैव मार्गी रहते हैं कभी वक्री नहीं होते, राहु-केतु सदैव वक्री रहते हैं और उसकी मध्यम गति ग्रहण की जाती है। मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि वक्री भी होते हैं और मार्गी तो होते ही हैं।

मार्गी ग्रहों की गति धन (+) में होता है और वक्री ग्रहों की गति ऋण (-) में आता है।

घट्यात्मक ग्रह गति : दैनिक ग्रह गति का तात्पर्य है ६० दण्ड में अथवा २४ घंटे में ग्रह कितना आगे-पीछे बढ़ा। यदि इस दैनिक ग्रह गति में ६० से भाग देंगे तो घट्यात्मक ग्रह गति प्राप्त होगी ।

घट्यात्मक ग्रह गति प्राप्त करने के लिये दैनिक ग्रह गति (अंश/कला/विकला) व घटी/पल को एक इकाई में बनाना होता है।

अंश को ६० से गुणा करने पर वह कला हो जाती है और लब्ध कला का कला में में योग करने पर जो लब्धि कला होती है उसे पुनः ६० से गुणित करने से प्राप्त लब्धि विकला में होती है जिसे विकला में योग कर दिया जाता है और इस प्रकार ग्रह के अंशादि विकलात्मक हो जाते हैं अर्थात एक इकाई में परिवर्तित हो जाते हैं।

उदाहरण : मान लेते हैं किसी ग्रह की दैनिक गति १/०४/३७ है तो १ अंश है, ०४ कला है और ३७ विकला है। इसे एक इकाई का बनाने के लिये :

  • १ अंश × ६० = ६०
  • ६० + ०४ = ६४
  • ६४ × ६० = ३८४०
  • ३८४० + ३७ = ३८७७ (विकला)

दूसरा उदाहरण : ०/४९/३३ = {(४९ × ६०) + ३३}

  • = २९४० + ३३
  • = २९७३ (विकला)

इसी प्रकार से घटी (६०) को भी ६० से गुणित करने पर लब्धि ३६०० पलात्मक बन जाता है अर्थात एक इकाई में परिवर्तित हो जाता है। इसी प्रकार से इष्टकाल अथवा इष्टकाल-मिश्रमान के अंतर को भी जो घटी/पल में होता है उसे पलात्मक बनाया जाता है। यदि इष्टकाल ४४/५७ हो तो (४४ × ६०) + ५७ = २६४० + ५७ = २६५७ पलात्मक इष्टकाल होगा।

तात्कालिक ग्रह स्पष्ट : जब हमें घट्यात्मक ग्रह गति प्राप्त हो जायेगी तो उसे इष्टकाल (पलात्मक) से गुणित करके प्राप्त विकलात्मक लब्धि को (सठियाते हुये) राश्यादि में परिवर्तित करके; पूर्व दिन के ग्रह राश्यादि में योग कर देने पर तात्कालिक ग्रह राश्यादि अथवा तात्कालिक ग्रह स्पष्ट ज्ञात हो जायेगा।

औदयिक ग्रह राश्यादि में ही पलात्मक इष्टकाल से गुणा करके योग करने पर तात्कालिक ग्रह स्पष्ट ज्ञात करेंगे, मिश्रमान कालिक ग्रह राश्यादि में इष्टकाल – मिश्रमान का अन्तर ज्ञात करके उस लब्धि से घट्यात्मक ग्रह गति को गुणित करेंगे। मिश्रमान कालिक ग्रह राश्यादि से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की विधि विश्वविद्यालय पंचांग से अभ्यास करते समय स्पष्ट हो जायेगा।

औदयिक पंचांग (हृषीकेश पंचांग) से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करना

हृषीकेश पंचांग फाल्गुन शुक्ल पक्ष २०८१
हृषीकेश पंचांग फाल्गुन शुक्ल पक्ष २०८१

ऊपर हृषीकेश पंचांग फाल्गुन शुक्ल पक्ष २०८१ का पृष्ठ दिया गया है और इसमें से हम चतुर्दशी अर्थात दिनांक १३/३/२०२५, गुरुवार का, इष्टकाल ३४/५७ के लिये तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने का अभ्यास करेंगे।

  • इष्टकाल : ३४/५७ = {(३४ × ६०) + ५७} = २०४० + ५७ = २०९७ (पलात्मक)
  • औदयिक सूर्य चतुर्दशी : १०/२८/२१/५२ = २८/२१/५२ = {(२८ × ६०) + २१/५२}
  • = १६८० + २१/५२ = {(१७०१ × ६०) + ५२} = १०२०६० + ५२ = १०२११२
  • औदयिक सूर्य पूर्णिमा : १०/२९/२१/४७ = २८/२१/४७ = {(२९ × ६०) + २१/४७}
  • = १७४० + २१/४७ = {(१७६१ × ६०) + ४७} = १०५६६० + ४७ = १०५७०७
  • इष्टकाल : २०९७ (पलात्मक)
  • औदयिक सूर्य चतुर्दशी : १०२११२ (विकला)
  • औदयिक सूर्य पूर्णिमा : १०५७०७ (विकला)
  • दैनिक सूर्य गति = १०५७०७ – १०२११२ = ३५९५
  • घट्यात्मक सूर्य गति = ३५९५ ÷ ३६०० = ०.९९८६
  • इष्टकालिक सूर्य भुक्त = २०९७ × ०.९९८६ = २०९४

अब इष्टकाल तक भुक्त सूर्य विकला २०९४ को सठियाते हुये अंशादि में परिवर्तित करेंगे और चतुर्दशी के औदयिक सूर्य में लब्धि का योग करने पर इष्टकाल का स्पष्ट सूर्य हो जायेगा :

२०९४ ÷ ६० = ३४/५४ = ० अंश ३४ कला और ५४ विकला

२०९४ ÷ ६० = ३४/५४ = ० अंश ३४ कला और ५४ विकला
१०/२८/२१/५२ + ०/०/३४/५४ = १०/२८/५६/४६
इष्टकाल का स्पष्टसूर्य : १०/२८/५६/४६

मिश्रमान कालिक पंचांग (हृषीकेश पंचांग) से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करना

मिथिलादेशीय पंचांगों में मिश्रमान कालिक ग्रह राश्यादि अंकित होते हैं और उन पंचांगों से औदयिक ग्रह राश्यादि वाले पंचांगों से ग्रह स्पष्ट करने की विधि भिन्न होती है। कारण यह है कि औदयिक ग्रह स्पष्ट होने पर इष्टकाल तक का ही ग्रह भुक्त ज्ञात करना होता है किन्तु यदि ग्रह स्पष्ट औदयिक न हो मिश्रमान कालिक हो तो ग्रह भुक्त भी मिश्रमान काल से ही ज्ञात करना होगा। इष्टकाल से जो ग्रह स्पष्ट किया जाता है वह सूर्योदय काल से होता है अर्थात औदयिक होता है मिश्रमान कालिक नहीं।

मिश्रमान कालिक ग्रह भुक्त ज्ञात करने के लिये मिश्रमान से इष्टकाल का अंतर ज्ञात करना होता है। इसकी विधि जब इष्टकाल मिश्रमान से अधिक हो तो इष्टकाल में मिश्रमान को ऋण करके लब्ध काल का भुक्त ज्ञात करना चाहिये और पूर्व मिश्रमान कालिक ग्रह स्पष्ट में लब्ध अंशादि को योग कर तात्कालिक ग्रह स्पष्ट ज्ञात होगा। यदि इष्टकाल मिश्रमान काल से कम हो तो दो विधि अपनायी जा सकती है :

  1. एक विधि तो यह हो सकती है कि मिश्रमान से इष्टकाल को ऋण करके जो ग्रह अंशादि प्राप्त होगा वास्तव में वह ग्रह भोग्य होगा और पर मिश्रमान कालिक ग्रह स्पष्ट में उसे ऋण करके तात्कालिक ग्रह स्पष्ट प्राप्त होगा।
  2. इसी प्रकार दूसरी विधि थोड़ी भिन्न होती है और वो होती है ६० दंड में से मिश्रमान को ऋण करके लब्धि में इष्टकाल का योग कर देना और उस लब्ध मान का ग्रह भुक्त ज्ञात करके पूर्व मिश्रमान कालिक ग्रह राश्यादि में योग करने से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट ज्ञात हो जायेगा।
विश्वविद्यालय पंचांग माघ कृष्ण पक्ष संवत २०८१
विश्वविद्यालय पंचांग माघ कृष्ण पक्ष संवत २०८१

अब हम मिश्रमान कालिक ग्रह राश्यादि से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करना सीखेंगे और इसके लिये ऊपर विश्वविद्यालय पंचांग के माघ कृष्ण पक्ष संवत २०८१ का अंश दिया गया है और इसमें हम माघ कृष्ण एकादशी, शनिवार तदनुसार दिनांक २५ जनवरी २०२५ के दिन इष्टकाल ५१/४८ पर तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने का अभ्यास करेंगे।

इष्टकाल मिश्रमान से अधिक होने पर

  • इष्टकाल : ५१/४८
  • मिश्रमान : ४३/२०
  • मिश्रमानान्तर : ८/२८
  • पलात्मक अंतर = {(८ × ६०) + २८} = ४८० + २८ = ५०८
  • मिश्रमान कालिक सूर्य एकादशी : ९/११/३७/२१ = ४१८४१
  • मिश्रमान कालिक सूर्य द्वादशी : ९/१२/३८/३५ = ४५५१५
  • पलात्मक मिश्रमानान्तर : ५०८ (पल)
  • मिश्रमान कालिक सूर्य एकादशी : ४१८४१ (विकला)
  • मिश्रमान कालिक सूर्य द्वादशी : ४५५१५ (विकला)
  • दैनिक सूर्य गति = ४५५१५ – ४१८४१ = ३६७४
  • घट्यात्मक सूर्य गति = ३६७४ ÷ ३६०० = १.०२०
  • इष्टकालिक सूर्य भुक्त = ५०८ × १.०२० = ५१८

यहां जो इष्टकालिक भुक्त सूर्य विकला ज्ञात किया गया है वो सूर्योदय से न करके मिश्रमान से किया गया है। इष्टकाल चूंकि मिश्रमान से अधिक था इसलिये इष्टकाल में मिश्रमान को घटाया गया। प्राप्त विकला को सठियाते हुये अंशादि बनाकर पूर्व मिश्रमान कालिक सूर्य राश्यादि में योग करने पर तात्कालिक सूर्य स्पष्ट हो जायेगा :

५१८ ÷ ६० = ८/३८ = ० अंश ८ कला और ३८ विकला
९/११/३७/२१ + ०/०/८/३८ = ९/११/४५/५९
इष्टकाल का स्पष्टसूर्य : ९/११/४५/५९

इष्टकाल मिश्रमान से कम होने पर

इस प्रकार से मिश्रमान के पर इष्टकाल का अर्थात मिश्रमान से इष्टकाल अधिक होने पर ग्रह स्पष्ट करने की विधि है। किन्तु यदि इष्टकाल मिश्रमान से कम हो तो भुक्त और भोग्य दोनों विधि से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट ज्ञात किया जा सकता है। और अब दोनों विधि से हम समझेंगे। यदि हम इष्टकाल २५/४३ लें तो मिश्रमान से पूर्व है अर्थात कम है। इसके लिये भोग्य अंशादि ज्ञात करना है अधिक सरल है और मिश्रमान में से इष्टकाल को ऋण करने पर जो लब्धि होगी उसी से भोग्य अंशादि ज्ञात किया जायेगा।

यहां एक अन्य अंतर यह भी होगा कि दैनिक ग्रहगति पर दिन के मिश्रमान कालिक ग्रह स्पष्ट से नहीं लिया जायेगा, पूर्व दिन से ज्ञात किया जायेगा क्योंकि इष्टकाल मिश्रमान से पूर्व का है। अब हम माघ कृष्ण एकादशी के ही बुध की तात्कालिक राश्यादि ज्ञात करेंगे।

  • इष्टकाल : २५/४३
  • मिश्रमान : ४३/२०
  • बुध राश्यादि माघ कृष्ण एकादशी : ९/०५/३६/२९
  • बुध राश्यादि माघ कृष्ण दशमी : ९/०३/५०/०४
  • मिश्रमानान्तर : १७/३७
  • पलात्मक मिश्रमानान्तर : १०५७
  • विकलात्मक बुध माघ कृष्ण एकादशी : २०१८९
  • विकलात्मक बुध माघ कृष्ण दशमी : १३८०४

अब तात्कालिक बनाते हैं :

  • दैनिक बुध गति = २०१८९ – १३८०४ = ६३८५
  • घट्यात्मक बुध गति = ६३८५ ÷ ३६०० = १.७७४
  • इष्टकालिक बुध भोग्य = १०५७ × १.०२० = १८७५
  • इष्टकालिक बुध भोग्य अंशादि = ०/३१/१५
  • इष्टकालिक बुध : ९/०५/३६/२९ – ०/३१/१५ = ९/०५/०५/१४

दूसरी विधि :

  • इष्टकाल : २५/४३
  • मिश्रमान : ४३/१९ (पूर्व दिन का)
  • बुध राश्यादि माघ कृष्ण एकादशी : ९/०५/३६/२९
  • बुध राश्यादि माघ कृष्ण दशमी : ९/०३/५०/०४
  • (२५/४३ + ६०/००) – ४३/१९ = ४२/२४
  • मिश्रमानान्तर : ४२/२४
  • पलात्मक मिश्रमानान्तर : २५४४
  • घट्यात्मक बुध गति = १.७७४ (पूर्वज्ञात)
  • इष्टकालिक बुध भुक्त = २५४४ × १.०२० = ४५१२
  • इष्टकालिक बुध भुक्त अंशादि = १/१५/१२
  • इष्टकालिक बुध : ९/०३/५०/०४ + १/१५/१२ = ९/०५/०५/१६

प्रथम विधि से ज्ञात करने पर हमें तात्कालिक बुध स्पष्ट ९/०५/०५/१४ प्राप्त हुआ और द्वितीय विधि से ९/०५/०५/१६ प्राप्त हुआ। यहां २ विकला का अंतर देखा जा रहा है जो भिन्न विधि के कारण है और गणित में इस भिन्न विधि के अंतर को अस्वीकार नहीं किया जा सकता एवं जो निकटतम हो वो अधिक शुद्ध होता है अर्थात प्रथम विधि से ज्ञात बुध स्पष्ट अधिक शुद्ध कहा जायेगा।

शताब्दि पंचांग से ग्रह स्पष्ट करना हम अगले आलेख में सीखेंगे जो कि विशेष महत्वपूर्ण है।

विद्वद्जनों से आग्रह है कि आलेख में यदि किसी भी प्रकार की त्रुटि मिले तो हमें टिप्पणी/ईमेल करके अवश्य अवगत करने की कृपा करें।

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